श्री लम्बोदर स्तोत्रम् (क्रोधासुर कृतम्)
कोलकातानबन्ना मार्च, बवाल, बंगाल बंद, सायन लाहिड़ी कौन जिसकी अपील पर जुटा सैलाब
अविवाहित महिलाओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
कोकिला व्रत क्या है? पार्वती जी ने कैसे पाया शिव जी को? जानिए विधि, महत्व और कथा
इस कारण से इस व्रत को read more कोकिला व्रत का नाम दिया गया क्योंकि देवी सती ने कोयल बनकर हजारों वर्षों तक वहाँ तप किया। फिर पार्वती के रूप में उत्पन्न हुई और ऋषियों की आज्ञानुसार आषाढ़ के एक माह से दूसरे माह व्रत रखकर शिवजी का पूजन किया। जिससे प्रसन्न होकर शिवजी ने पार्वती के साथ विवाह कर लिया। अतः यह व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए श्रेष्ठ पति प्राप्त करने वाला माना जाने लगा।
कृष्ण और शिकारी, संत की कथा - प्रभु भक्त अधीन
व्रत के दौरान दिनभर उपवास रखें और शाम को पूजा और आरती के बाद फलाहार करें।
व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन कोकिला व्रत की व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए।
यह व्रत अविवाहित महिलाओं का सौभाग्य बढ़ाता है।
फिर क्या था, भगवान शिव अर्धनारीश्वर से पूरे नारी-रूप बन गये। श्रीयमुना जी ने षोडश श्रृंगार कर दिया।..
भगवान शिव को जब सती के बारे में पता चलता है तो वह यज्ञ को नष्ट कर, दक्ष के अहंकार का नाश करते हैं। सती की जिद्द के कारण प्रजापति के यज्ञ में शामिल होने तथा उनकी आज्ञा न मानने के कारण वह देवी सती को भी श्राप देते हैं, कि हजारों सालों तक कोयल बनकर नंदन वन में घूमती रहें।
ஶ்ரீ க³ணேஶ மூலமந்த்ரபத³மாலா ஸ்தோத்ரம்
इस व्रत को करने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
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